Raja Somchand
१. रजा सोमचंद
सन [७०० - ७२१]
चाँद कब आये
त्य जातः कूर्मचले नृपः! सोम्चान्द्रस्त
झूंसिग्राम समाग शीतानश्चा सद्रिशन शम्भू पूजख !! (प्राचीन वंशावली)
(१) चाँद कब आये?
(२) कैसे आये?
और (३) कहाँ से आये?
इन विषयों में आनेक बातें प्रचलित हैं, जिनका वर्णन सूक्षम्ताया यहाँ पे किया जाएगा.
(१). चाँद कब आये?
पंडित हर्षदेव जोशी ने श्री फ्राजेर साहब को सन १८१३ में एक रिपोर्ट कुमाओं के बारे में लिखकर दी थी, जिसमें कहा है - "छंदों में पहले रजा थोहरचंद थे, जो १६ या १७ वर्ष की अवस्था में यहाँ आये थे. उनके तीन पुश्त बाद कोई उत्तराधिकारी न रहने से थोहरचंद के चाचा की संतान में से ज्ञानचंद नाम के राजा यहाँ आये." इस बात को माननें से थोहरचंद कुमाओं में सन १२६१ में आये और ज्ञानचंद १३७४ में गद्दी पर बैठे.
श्री जयदेव तिवारीजी के पुत्र, श्री कंकनिधि प्रेम्निधि तिवारीजी तथा पंडित हरिवल्लभ पांडेजी ने श्री हैमिल्टन साहब से सन १८१८ में फरुख्हाबाद में कहा था की रजा थोहरचंद ने झूंसी से आकर नेपाल में किसी मगर या जार (जाट ?) रजा के यहाँ नौकरी की. श्री जयदेव उनके साथ थे. यह राज्य करवीरपुर के रजा के अधीन था. रजा थोहरचंद व श्री जयदेवजी ने देश से और लोगों को बुलाकर करवीरपुर के राज्य को कुचल दिया, और चम्पावती और कूर्मांचल राज्य स्थापित किया, जो बाद में कुमाऊँ हो गया. उन्होंने सन नहिएँ बताया, पर ३५० वर्ष पूर्व की बात कहे है. सन १८१८ में ३५० वर्ष घटने से १४६८ हुआ. ये शब्द श्री हैमिल्टन साहब नें अपने इतिहास में लिखे हैं. पंडित रामदत्त त्रिपाठीजी नें (जो की मिस्टर अठकिसन साहब के साथ हिंदी लेखक थे) लिखा है - "राजकुमार सोमचंद कलित्रजर निवासी रजा खादाक्सिंह के वंशोत्पन्न हैं. सुधानिधि चौबे सरदार और बुद्धिसें
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